Koshish - Andhere se Zindagi ujale tak First Part in Hindi Fiction Stories by DHIRENDRA BISHT DHiR books and stories PDF | कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक First Part

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कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक First Part

"कोशिशों का कारवाँ कुछ इस तरह "ज़िंदगी" मे,

मैं थक कर सोना चाहता हूँ, सपने फिर से जगा देते हैं|"
"सपने सपने जिस तरफ देखूं उस तरफ सपने दिखाई देते हैं"|
सपने जब हम पर हावी हो जाते है तो लोग भी तरह-तरह की बात करते हैं| वैसे भी अब मैने लोगों पर ध्यान कम अपने सपनों को पूरा करने का ज़्यादा ठान लिया था | मैं लोगों से कम खुद से ज़्यादा बात करने लगा था| कोई मुझ पर हँसता और मैं उनकी हंसी मैं हँस लेता | जब से होश संभाला है जिंदगी में, तब से सिर्फ़ लोगों को सुनता आया हूँ और ना जाने आगे भी कितना सुनना होगा| लोगों का भी जवाब नही मेरे जिंदगी में, कोशिश मैं करता हूँ और तरह-तरह का परिणाम लोग सुनाते हैं|
"ये करना चाहिए"
"ये क्यूँ किया",
कभी ऐसा लगता है दुनिया बोलने के लिए और मैं सिर्फ़ सुनने के लिए| खुद पर भले भरोसा नही हो आज किसी को पर दूसरों को झूठा दिलासा अक्सर दे जाते हैं कुछ खास लोग|
              "तब से लिखे जा रहा हूँ, बिना पूरी बात किए मैं, आप भी सोच में होंगे ऐसा क्या है इस कृति में और आज मैं आपको कुछ खास पढ़ाने जा रहा हूँ, आइए पढ़ते हैं एंबिशियस रोहन के कारवाँ को इस लेख के माध्यम से,


शहर के शोर से दूर सुनसान सी जगह पर बाइक पर बैठा हुआ रोहन मन ही मन अपनी किस्मत को कोष रहा है|

"ना अच्छी इंग्लिश आती हैं,
ना कोई अच्छा एक्सपेरिंस किसी कंपनी में बड़ी पोस्ट का,
जहाँ जाओ इंटरव्यू में ये एचआर वाले भी बस मिली जुली बात बोलते हैं (ओके आपको कॉल कर के इन्फॉर्म करेंगे) |
आधी से ज़्यादा सैलरी तो अब इंटरव्यू में खर्च हो रही है|

रोहन बैठे बैठे ये सब सोच रहा था|

         कुछ देर बाद वो बाइक के शीशे मे देख कर बोला "भगवान के सिर्फ़ शक्ल अच्छी दी है वो भी अब सोच सोच के खराब हो रही है | इतना बोल कर उसने बाइक स्टार्ट की और घर को चल दिया |
रोहन एक बड़ी सी प्राइवेट कंपनी मे एक छोटी सी पोस्ट में ऑफ़िस असिस्टेंट का काम करता है| वह बहुत एंबिशियस होने के साथ साथ अपने प्रोफेशन के लिए वह बहुत कॉशियस है| ऑफ़िस में कोई नया काम या फिर कोई टास्क इन सारी चीज़ों में उसे अच्छी दिलचस्पी है| इन सभी चीजों को रोहन बखूबी पूरा करता है|
अपने सीनियर मैनेजर को देख कर बस वो कभी कभी सुनसान जगह के अलावा ऑफ़िस में भी सपने देखने की इच्छा जाहिर करता है| बस यही सोचता है, कि एक दिन वो भी किसी बड़ी कंपनी में डिपार्टमेंट हेड बनेगा| उसके सपने बहुत बड़े थे पर सपनों के रास्ते सोच से भी मुश्किल|

एक चीज़ उसमें बहुत खूब थी छोटी पोस्ट मे होने के बाद भी वह हर बार बड़ी पोस्ट के लिए अप्लाइ करता | उसे पता होता था की उसने सेलेक्ट नही होना है और उसने हमेशा के जैसे अपने ऑफ़िस के लोगों में लाफटर कॅरक्टर बनना है| सब उसका ऑफ़िस में मज़ाक बनाते और वो कमाल का है, अपनी कमियों को ध्यान से सुनता और सब की हंसी में हँसता, उसे हर चीज़ एक्सपीरियेन्स करने और सीखने की आदत जो है|
वह इंटरव्यू में सेलेक्ट होने कम इंटरव्यू में आए लोगों को देखने, उनका बॉडी लॅंग्वेज , इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सवाल जवाब जानने ज़्यादा जाता है| एक भी इंटरव्यू मिस नही करता है| खुद में जो भी ग़लती उसे नज़र आती, वह नेक्स्ट इंटरव्यू में सुधार करता है! उसे मालूम है वह सही है इसलिए वो लोगों की परवाह किए बिना अपने मन मे मंथन कर, अपनी ग़लतियों से सीखता और फिर से कोशिश करता है | बार बार इंटरव्यू में सेलेक्ट न हो पर रोहन ने भी ठान लिया है,
"आखिर ऐसा कब तक होगा? रोज़ भले ही सेलेक्ट नहीं हूँगा पर एक दिन ज़रूर"|
ये एक दिन वाली बात भी कमाल की है, इंसान हर रोज़ फेल हो अपनी जिंदगी में, पर वह हर नई रोज़ नई बात सीखता है, और परिणाम की परवाह छोड़ के कोशिश करने वाला हर इंसान एक दिन अपनी जिंदगी में सफल होते हैं!
           एक दिन उसे नौकरी डॉट कॉम से कॉल आया, कि उसके जॉब प्रोफाइल के अनुसार उसके लिए अच्छा ऑफर है| वह इस बार पहले से ज़्यादा खुश था| आखिरकार रोहन को सक्सेस होने का कम फेल्ड होने का ज़्यादा एक्सपीरियेन्स जो हो गया है|
पूरी रात तैयारी करने के बाद रोहन न्यू जॉब इंटरव्यू के लिए कंपनी मे पहुँचा| उसने रिसेप्शन पर अपना सीवी और डॉक्युमेंट्स सब्मिट किए और बाकी कैंडिडेट्स के जैसे वेटिंग रूम में वेट करने लगा| उसका इंटरव्यू शुरू हुआ और इस बार वह सेलेक्ट हुआ|
"कंग्रॅजुलेशन्स रोहन योउ गॉना बी पार्ट ऑफ अवर् कंपनी" आपके करेंट कंपनी का एक्सपीरियेन्स और आपके अचीव्ड टास्क को देख कर मॅनेज्मेंट ने आपका अपायंटमेंट डिसाइड किया है"
ऐसा एच आर एग्ज़िक्युटिव ने उसे बोला|
ये सब सुन कर रोहन थॅंक योउ मॅम बोल कर इंटरव्यू रूम से वेटिंग रूम मे आया|
रोहन खुश था, एचआर ने रोहन को ऑफर लॅटर के साथ कंग्रॅजुलेशन्स तो बोला और साथ ही ऑफ़िस जोइन करने का नोटीस पीरियड माँगा| नोटीस पीरियड के अनुसार रोहन को ठीक एक महीने बाद ज़ोइनिंग करना है| रोहन ने अपने करेंट कंपनी में रेसिग्नेशन दे दिया |
ज़ोइनिंग का दिन आ ही गया आज रोहन थोड़ा सा सहमा और एग्ज़ाइटेड है, उसके मन में कई सवाल हैं, वो मन ही मन खुद से ही सवाल कर और खुद उनके जवाब देने की कोशिश कर रहा है:
"जॉब तो मिल गई"
सैलरी भी ठीक है"

"पता नही न्यू ऑफ़िस कैसा और सीनियर लोग कैसे होंगे" चलो जैसा भी है अब थोड़ा बदलाव तो लाएगी जिंदगी मुझ में" गहरी से साँस छोड़ कर रोहन ने रिसेप्शन मे एंट्री की| एचआर ने ज़ोइनिंग फॉर्मॅलिटी पूरी की और रोहन को उसके डिपार्टमेंट में भेजा|
अब क्या था रोहन को अच्छा जॉब मिल गया जैसा उसे एक अच्छे करियर की शुरूआत के लिए चाहिए था और वह खुश है, डिपार्टमेंट हेड तो नही रोहन टीम लीडर ज़रूर बन गया है| सब कुछ अच्छा चल रहा है, और रोहन ने अपने काम से खुद को प्रूफ करना स्टार्ट कर दिया है|
न्यू जॉब के साथ साथ रोहन के सपनों की तादाद और बढ़ने लगी है| पर कभी लाइफ में सब कुछ अच्छा होता है, ये हमारी कोशिश का रिजल्ट जो होता है और कभी लाइफ में अचानक बहुत अगल दौर आता है, जो हमने कभी अपनी लाइफ से एक्सपेक्ट नही किया होता है| वो दौर बुरा नही जिंदगी का रिवाज होता है| कोई मुश्किल को रिवाज समझ के जिंदगी जीते हैं और खुद को समझे बिना जिंदगी को कोसते रहते हैं|
रोहन खुश था और उसके काम में अब अच्छा मन लगने लगा है| उसकी जिंदगी में सब कुछ ऐसे चल रहा था, माने सब कुछ पहले प्री प्लान हो|
कभी कभी सबक़ भी ज़रूरी हैं जिंदगी को जीने के लिए|
अचानक रोहन की लाइफ में एक ऐसा मोड़ आया जो उसने कभी सोचा भी नही था, पर लाइफ तो ऐसी होती है -
"कभी स्वाद भरी ख़ुशियाँ और कभी जिंदगी में बे स्वाद ग़म"
पर बे स्वाद ग़म ही जिंदगी में असल स्वाद लाते हैं, गर समझने वाला सही हो तो, वरना कमियाँ निकालने वाले तो चाँद मे भी दाग बताते हैं|
आगे क्या हुआ रोहन की लाइफ में ये हम, कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक के अगले भाग में जानेंगे |